पंडित मदन मोहन मालवीय को शत-शत नमन
है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं। है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे महान पुरुष होते हैं, जो इतिहास बनाया करते हैं ।।
आज हम बात कर रहे हैं पंडित मदन मोहन मालवीय की जिन्होंने राष्ट्र-निर्माण का सपना देखा और उसे मूर्त रूप प्रदान किया ।
उनका कहना था ‘मुझे इत्र की गन्ध पसन्द नहीं, मुझे शील की गन्ध, चरित्र की गन्ध, धर्म की गन्ध, सबसे अधिक विश्वविद्यालय की सुगन्ध पसन्द है
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पण्डित मदन मोहन मालवीय द्वारा 1916 में बसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना किये
तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं पर उनके द्वारा लिखे गए निर्भीक लेखों और टिप्पणियों को बहुत सराहा जाता था । मालवीयजी ने बाद में ‘इण्डियन ओपिनियन, ‘लीडर’, ‘मर्यादा’, ‘सनातन धर्म’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ तथा ‘अभ्युदय’ का सम्पादन भी किया । इस प्रकार, उन्होंने भारतीय पत्रकारिता को नया आयाम प्रदान करते हुए अपना अविस्मरणीय योगदान दिया ।
पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत सरकार द्वारा उन्हें 24 दिसंबर 2015 को उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया ।
"महामना" पंडित मदन मोहन मालवीय जी की 158 वीं जयंती पर शत् शत् नमन।
बृज मोहन सिंह
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