सांप्रदायिकता की आग
कहीं आग है तो कहीं धुआं धुआं क्या हुआ है हमारे देश को पूरब से लेकर पश्चिम तक उत्तर से लेकर दक्षिण तक आग ही आग नजर आ रही हैं। अहिंसा के पुजारी गांधी के इस देश में चारों तरफ घमासान मचा हुआ हैं संसद भवन से उठी चिंगारी आज लगभग पूरे देश में फैल रही है।
आधे से ज्यादा लोगों को तो यह ही नहीं पता है कि वह किस लिए और क्यों बसों और ट्रेनों में आग लगा रहे हैं
देश में गजब की स्थिति पैदा हो गई है
जब किसी जाति,धर्म,संप्रदाय से निकली हुई चिंगारी आग लगाती है तो वह नासूर बन जाती है हम कैसे भूल जाते हैं कि 1947 के विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 5 लाख लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली
लोग अभी एक जख्म भूले नहीं की दूसरा सीना तान दरवाजे पर खड़ा है
लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है और राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी अपनी राजनैतिक रोटियां झमाझम सेकने में लगे हुए हैं ।
: बृज मोहन सिंह
Sahmat
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